राजस्थान के भरतपुर जिले के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने एक मरीज को इसलिए भर्ती करने से इनकार कर दिया क्योंकि वह मुस्लिम है और उन्हें जयपुर रेफर कर दिया गया। यह आरोप एक नवजात बच्चे के पिता का है। उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी ने जयपुर जाते वक्त रास्ते में बच्चे को जन्म दिया, लेकिन नवजात की मौत हो गई।
नवजात के पिता का आरोप है कि जब वह एबुलेंस लेकर भरतपुर के आरबीएम जेनाना अस्पताल पहुंचे तो उन्हें दूसरी बार भगा दिया गया। भरतपुर के विधायक और राज्य के मेडिकल शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग ने इस आरोप से इनकार किया है कि परिवार को मुस्लिम होने की वजह से जयपुर भेजा गया था और कहा कि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गलरिया ने कहा कि मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन जांच करेगा और यदि आवश्यक हुआ तो उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आरोपों को पूरी तरह से गलत बताया है। गर्ग ने कहा 'रोगी के एक रिश्तेदार और स्वयं रोगी द्वारा दिए गए बयान आरोपों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। जांच के आदेश दिए गए हैं और हम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।'
खान का कहना है कि उनकी पत्नी का इलाज कर रहे कर्मचारियों को लगा कि वह तबलीगी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, 'जब हम कल रात सीकरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गए, तो उन्होंने हमें जिला अस्पताल जाने के लिए कहा। हम आज सुबह भरतपुर अस्पताल गए। लेबर रुम में डॉक्टर्स ने मेरा नाम और पता पूछा। मैंने उन्हें अपना नाम बताया और कहा कि मैं नागर से आया हूं। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं मुस्लिम हूं। मैंने कहा हां। इसके बाद डॉक्टरों ने कहा कि यदि तुम मुस्लिम हो तो तुम्हारा यहां इलाज नहीं हो सकता है।'